हिमाचल के सभी सरकारी स्वास्थ्य केन्द्रों में स्क्रब टाइफस की निःशुल्क दवाइयां उपलब्ध।

स्क्रब टाइफस बीमारी के कुछ मामलों के दृष्टिगत राज्य सरकार द्वारा इस बीमारी की रोकथाम के लिए ऐतिहाती कदम उठाते हुए राज्य के सभी सरकारी स्वास्थ्य केन्द्रों में स्क्रब टाइफस की जांच व दवाइयां निःशुल्क उपलब्ध करवाई जा रही हैं।

इस संबंध में जानकारी देते हुए स्वास्थ्य विभाग के एक प्रवक्ता ने कहा कि स्क्रब टाइफस एक संक्रामक बीमारी है जो प्रायः जानवरों में होने वाला मौसमी रोग है और मनुष्यों में आ जाता है। घास काटने गए या अन्य बाहरी कार्य के दौरान मनुष्य संक्रमित कीट (चिगर्स) द्वारा काटे जाने पर इस बीमारी से ग्रसित हो सकता है।

किसान, बागवान, खेतों या बागिचों में काम करने वाले मज़दूर और अन्य कार्यों के लिए बाहर जाने वाले लोगों को इससे संक्रमित होने का ज्यादा खतरा रहता है। खेतों में पाए जाने वाले चूहे संक्रमण का मुख्य स्रोत हैं। स्क्रब टाइफस एक मनुष्य से दूसरे मनुष्य में नहीं फैलता।

बीमारी के लक्षण बताते हुए उन्होंने कहा कि तीव्र बुखार स्क्रब टाइफस का मुख्य लक्षण है। इसके अलावा सिर दर्द, मांसपेशियों में दर्द, सांस फूलना, खांसी, जी मितलाना, उल्टी होना इसके अन्य लक्षण हैं। कुछ मामलों में शरीर पर सुखे चकते भी हो सकते हैं।

स्क्रब टाइफस की रोकथाम व नियंत्रण के बारे में जानकारी देते हुए प्रवक्ता ने कहा कि संक्रमण के बारे में जानकारी होना जरूरी है। खेतों में काम करते समय हाथ-पैर  को ढक कर रखना चाहिए। खेतों में काम करने के उपरांत नहाना चाहिए अथवा बाजुओं व टांगों को धोना चाहिए। घरों के आस-पास घास-फूस को नहीं पनपने देना चाहिए।

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने निगरानी गतिविधियों और नैदानिक सुविधाओं के तहत सभी जिला अस्पतालों में एलिजा  परीक्षण की सुविधा तथा सभी नागरिक अस्पतालों, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों और स्वास्थ्य खंडों में वील फेलिक्स , थ्मसपगद्ध परीक्षण की सुविधा प्रदान की है।

उन्होंने कहा कि प्रदेश में गत 19 अगस्त तक स्क्रब टाइफस की जांच के लिए कुल 4103 परीक्षण किए गए, जिनमें से 219 मामले सकारात्मक पाए गए।

इस बीमारी के संबंध में अधिक जानकारी के लिए स्वास्थ्य विभाग के टॉल फ्री हेल्पलाईन नंबर-104 पर संपर्क किया जा सकता है।

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