
नई दिल्ली,नेशनल डेमोक्रेटिक टीचर्स फ्रंट ने दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदू कॉलेज सभागार में लोहिड़ी और मकर संक्रांति मिलनोत्स्व कार्यक्रम का आयोजन किया। कार्यक्रम में सैंकड़ों की संख्या में डी यू के शिक्षक, प्रोफेसर, प्राचार्य और विभाग अध्यक्ष उपस्थित थे।इस अवसर पर शिक्षकों को सम्बोधित करते हुए राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख श्री सुनील आंबेकर ने कहा कि भारत विविधताओं का देश है। विविधता में एकता देश की अद्भुत विशेषता है। पर्व त्यौहार देश को एकता के सूत्र में बांधे हुए हैं। एक ही त्यौहार देश में विविध रूप में मनाया जाता है।देश के स्वाधीनता आन्दोलन का स्मरण करते हुए इसमें सभी देशवासियों ने भाग लिया। उन्होंने कहा कि पर्व त्यौहार के माध्यम से एकता की अनुभूति सभी को जोड़ने का काम करती है।भारत में त्यौहार आधुनिक युग में भी प्रासंगिक है जो देश को जोड़ते हैं त्यौहार एक प्रतीक है जो हमारी परम्परा का स्मरण कराते हैं।
सुनील आंबेकर ने कहा कि शिक्षक,विश्वविद्यालय और समाज की जिम्मेदारी सभ्य और सुसंस्कृत नागरिक बनाने की है जो देश इस जिम्मेदारी से चूक जाते हैं तो वहां हिंसा और अपराध को बढ़ावा मिलता है। अच्छे नागरिकों को आगे आने की आवश्यक्ता है। शिक्षक अपने विषय के साथ विद्यार्थी को भी केन्द्र में रखे। इसके लिए देश, राष्ट्र और समाज की समझ होनी चाहिए।जो बातें इस समझ को विकसित करे उन्हें अपनाना चाहिए।
सुनील आंबेकर ने कहा कि देश की भाषाओं को जानने का प्रयास करना चाहिए और जीवन से भाषा के सम्बन्ध को समझा जाना चाहिए। भारत में अनेक भाषाएं है लेकिन उनमें परस्पर विरोधी भाव नहीं है बल्कि सह सम्बन्ध हैं।यह राष्ट्रीय गर्व का विषय है। भाषाई एकता के सूत्र पर शोध होना चाहिए। भाषाएं भारत के लिए समस्या नहीं बल्कि विशेषता है।लोहिड़ी, संक्रांति और पोंगल इसका उदाहरण है। इसलिए उत्साह और सक्रियता से इन त्यौहारों को मनाना चाहिए। कुंभ भी सामाजिक एकता का प्रतीक है जहां पूरा देश एकजुट होता है। हमें अपने सामाजिक भेदों से उपर उठना चाहिए।
सुनील आंबेकर ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति का क्रियान्वयन शिक्षकों पर निर्भर है।आज एकता के सूत्रों पर आघात हो रहा है। इसे अनदेखा नहीं किया जाना चाहिए। शिक्षक और विद्यार्थी को आगे आकर एकता के सूत्रों को मज़बूत करने की जरूरत है।आज नई नई तकनीक आ रही है। दुनिया तेजी से बदल रही है लेकिन शिक्षक की जगह कोई नहीं ले सकता लेकिन शिक्षकों को बदलती तकनीक के साथ अपने को तैयार करना चाहिए। देश के विश्विद्यालयों को शोध पर अधिक ध्यान देना होगा तभी देश आगे तरक्की करेगा।
भारत चरित्रवान देश रहा है तभी देश की एकता बनी रही है। उत्सव इसके महत्वपूर्ण अंग है। हम एक रहेंगे तो मज़बूत रहेंगे। अच्छे नागरिकों को नेतृत्व के लिए आगे आना होगा तभी देश आगे तरक्की करेगा। सामान्य नागरिक कभी बुराई से समझौता नहीं करते।
नेशनल डेमोक्रेटिक टीचर्स फ्रंट के महासचिव प्रो वी एस नेगी ने इस अवसर पर कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति सही दिशा में जा रही है भारतीयता की पहचान को मजबूत किया जा रहा है। शिक्षाविद डा आई एम कपाही ने कहा कि मकर संक्रांति का उत्सव देश को जोड़ने का काम करता है और उत्सव का संचार करता है। उत्सव देश में राष्ट्रीयता को मज़बूत करते हैं। पूर्व डूटा अध्यक्ष एन के कक्कड़ ने कहा कि आज का दिन कई रूपों में देश भर में मनाया जाता है। नेशनल डेमोक्रेटिक टीचर्स फ्रंट के अध्यक्ष प्रो ए के भागी ने कहा कि एन डी टी एफ ने शिक्षा और शिक्षक हित में काम किया है और परिणाम दिया है। परमानेंट नियुक्ति, प्रमोशन, पेंशन प्रोफेसर शिप और वरिष्ठ प्रोफेसर आदि इसके उदाहरण हैं।
उन्होंने कहा कि शिक्षक और शिक्षा के विकास के लिए मिलकर काम करना चाहिए।चुनौतियां अभी बनी हुई हैं ,धैर्य से इन से निपटना होगा।
एन डी टी एफ न तो अंधानुकरण का पक्षधर रहा है और न अंध समर्थन करता है। आलोचनात्मक और विवेकी दृष्टिकोण अपनाकर एन डी टी एफ कार्य करता है। उन्होंने बताया कि अकादमिक स्वायतता सर्वप्रथम है ताकि शिक्षा और शिक्षक हित में काम किया जा सके।
